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एक बेहतरीन व्यंगों का संग्रह। ये हरिशंकर परसाई जी की पहली पुस्तक है जो मैंने पढ़ी। एक बेहतरीन रचना।मैं तो कहूँगा इसे पढ़िए। परसाई जी ने किसी को भी नहीं छोड़ा है अपनी कलम की धार से।
भले ही ये कई साल पहले लिखे गये थे लेकिन आज भी ये उतने ही सच्चाई से समाज की हालत को बयान करते हैं ये व्यंग ।
आप मेरे विचार मेरे चिठ्ठे में निम्न लिंक पे जाकर पढ़ सकते हैं :
निठल्ले की डायरी
...more
भले ही ये कई साल पहले लिखे गये थे लेकिन आज भी ये उतने ही सच्चाई से समाज की हालत को बयान करते हैं ये व्यंग ।
आप मेरे विचार मेरे चिठ्ठे में निम्न लिंक पे जाकर पढ़ सकते हैं :
निठल्ले की डायरी
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Mar 08, 2020
Arpit Rathore
marked it as to-read

Feb 29, 2016
Abhishek Sawarna
marked it as to-read