फरार- Story
फरार
वो १९८६ कादौर था जब अंडरवर्ल्ड काबड़ा भाई, उस पावरफुल नेताजी सरकार के कहने पर दुबई भाग गया उसके बादमुंबई के अंडरवर्ल्ड में खलबली मच गयी. हर छोटा गैंगस्टर भाईकी जगह लेना चाहता था, वैसे हे एक गैंगस्टर थागन्या शिंदे उर्फसुपारी भाई, गन्या का बाप पहले मुंबईके गोदी मेंस्मगलिंग और शराब के गिरोह में काम करता था, और बाप के एनकाउंटर मेंमर जाने केबाद उसके बेटेगन्या के मन में सरकारी व्यवस्था के खिलाफ गुस्सा भर गया और वो भी बड़े भाई के गिरोह में शामिल हो गया, उसका काम था बड़े भाई और नेताजी के लिए प्रोटेक्शन मनीवसूलना, और भाई के लिये उनसे साम, दाम, दंड के जरिये काम करवा लेना और प्रोटेक्शन मनी वसूलना. गन्या शिंदेऔर उसका गैंगकाफी सालो सेईमानदारी से भाई के लिए सभी बड़े लोगों औरसरकारी अफसरों परकण्ट्रोल बनाये हुएथा. लेकिन एकदौर आया जब १९९३ मेंमुंबई बम ब्लास्ट के बाद भाई का नाम वांटेड लिस्ट मेंऊपर आया और स्टेट कीसरकार ने सभी गैंगस्टरों कोख़तम करने केलिया स्पेशल एनकाउंटर सेल का गठन किया. उसकाइंचार्ज था सदानंद भिड़े, वोएक ईमानदार औरसख्त पोलिसवाला था, उसने एनकाउंटर कावर्ल्ड रिकॉर्ड करनेका जैसे ठान लिया था और धड़ल्ले से जो भी गैंगस्टर उसकी हिटलिस्ट में था उनका एनकाउंटर करनेलगा, उसके खौफके कारन बहुतसे गैंगस्टर फरारहोने लगे और अब गन्या शिंदे कोलगा के अगर जान बचानी हो तो उसे मुंबई छोड़ कर फरार होनापड़ेगा सो उसने पुणे केएक गाँव मेंजाने का प्लान बनाया, उसनेएक सरकारी पोस्टऑफिस में ऑडिट इंस्पेक्टर बनकर जाने केतैयारी के उसने उसके सरकारी कॉन्टेक्ट्स से उसने जरूरी कागजात.और पहचान पत्रबनवा लिया. उस गाव का नाम था हवेली जो बहुत छोटा औरबाकि दुनिया केझनझट से दूर था. गन्या ने उसके गैंग कोतुरंत फरार होनेका हुकम दिया, और खुद निकल पड़ा एक अनजान मंजिलकी और. अगले दिन मुंबई के दादर बस स्टेशन से उसने सरकारी बसपकडी जिससे स्टेशन पैर पुलिस कीनज़र से बच सके और वो ६ घंटे केसफर के बाद पहुँचा हवेलीगाव्.
दोपहर का वक़्त ३ बजे एक बस गाव् केबस अड्डे पररुकी. उसमे सेगन्या उतरा. उसकेहाथ में एक अटैची औरकुछ फाइल थी.आलीशान गाड़ियों मेंघूमने वाले गन्याने पहले बारबस का सफर किया थावो काफी ऊबगया था, और उसे बाजु वाले बाबूभी जो की काफी बातुनी था, उस से वो चिढगया था और उसे लग रहा था के कब उसे छुटकारा मिले गन्या जैसे बस हेउतरा, उसके साथवाले बन्दे नेसर निकलता हुएबोला.बस वाला बाबू: ठीक हैबाबू साहब कभीहमारे गाव् आनाहुआ तो जरूर घर पधारेगन्या: (अगर वो कभी उसे मुंबई मिलतातो उसकी गर्दनमरोड़ देता) मगरउसने खुद को संभाला औरबोलै जी जरूर मुझे बडीखुशी होंगी, धन्यवाद् और इतना बोलकरउसने विदा लीऔर आगे बढ़ा बस जहा रुकी वहा कुछ लोग बैठे दिखे, गन्या: बाबूजी ये पोस्ट ऑफिस कहापड़ता हैएक बूढा: बाबू इसकच्चे रस्ते सेआगे जाइये, जोभी बड़ी ईमारत आपको दीखजायगे उन झोपड़ियों के बीच वो पक्का मकान हीडाक खाना हैगन्या: ठीक है बाबाजी धन्यवाद् थोडी देर चलने के बाद वो पोस्ट ऑफिस पहुँचता है, वो देखता है गाव् के सभी घर एकदम कच्चे है, मगर डाक खाने की ईमारत बड़ी और नयी सी दीख रही है, उस ईमारत के सामने गार्डन और बगल में शायद रहनेके लिया कोठिया भी थी. वो पोस्ट ऑफिसमें अंदर घुसताहै,गन्या: स्टूलपैर बैठे अर्दली से, अरे पोस्ट मास्टर कहाबैठते है, उनसे कहना झोनलऑफिस से ऑडिट इंस्पेक्टर आयेहै, रिकार्ड्स देखनाहै.अर्दली: गन्या की बात सुनकर जरागड़बड़ा जाता हैऔर तुरंत पोस्टमास्टरजी को बुलाने भागता है.गन्या: वही एक कुर्सी पर बैठ जाता हैऔर आगे क्या बोलना हैवो सोचने लगताहै इतने में.
पोस्ट मास्टर: बाबू साहिब, आपतार कर देते तो हम आपको रीसिवकरने के लिए आ जाते, आपको खाम खा तकलीफ हुइ. ए अर्दली जाओबाबूजी के लिया चाय नास्ते का प्रबंध करो, आइये बाबूजी मेरेकेबिन में बैठते है आराम से. गन्या : पोस्टमास्टर साहब शायदआप एनुअल चेकिंग का प्रोटोकॉल नहीजानते क्या, हमआने की इत्तेलाह पहले नहीदे सकते, हमरिकार्ड्स चेक करने आये है,ये हमारा पहचान पत्र. और गन्या उसे एक बनाया हुआपहचान पत्र दिखताहै.पोस्ट मास्टर: कार्ड को उलट पुलट करदेखता है और मासूमियत औरघबराहट का मिला जुला सा मुह बनता है, और थोड़ी देरबाद संभल करकहता है, गलती हो गए बाबू साहबआगे से ना होगी, आप सेवा का मौका दीजिये, मन मत करीयेगा बस रिपोर्ट जरा अच्छे बनाया, हमआपके हुकम केगुलाम है आप जो कहेंगे वही होगा.इतने में अर्दली चाय नास्ता ले कर आता है, पोस्ट मास्टर: लीजिये बाबूजी थोड़ाचाय नास्ता करलीजिये, काम तो होता हीरहेगा थोड़े देर के बाद पोस्ट मास्टरजी इंस्पेक्टर साहब को रिकॉर्ड रूम लेकर जाते है.थोड़ी तपदिश केबादगन्या: मास्टरजी मुझे आपकेरिकार्ड्स कुछ ज्यादा लग रहे है, अगर आप अच्छे रिपोर्ट चाहतेहो तो शायद मुझे यहाँज्यादा देर तक रुकना पड़ेऐसे हेड ऑफिस को दीखाना पड़ेगा उसकेबाद हे में आपको अच्छेरिपोर्ट दे पाउँगा तो आप, हमारे रहनेका प्रबंध करोशायद कुछ दिन हमे यहाँ रुकना पड़ेगा.पोस्ट मास्टर: थोड़े ख़ुशी केलहजे में बोलै जो हुकुम बाबूजी, कोईकमी नही रहने देंगे आपकेखातिर दारी मेंऔर हमे भी ये आपका अंदाज़ पसंदआया जियो औरजीने दो वाला, ठीक है हम आपके रहने काप्रबंध करवा करअभी आते है तब तक आप हमारे दालान आरामफरमाए.पोस्ट मास्टर घंटीबजा कर एक कर्मचारी कोबुलाने के लिए कहता है, उसके आने के बाद गन्या से, बाबू साहब येहमारे स्टाफ राजेशहै, ये आपको रिकार्ड्स बताएँगे,गन्या राजेश कीतरफ देखता है, और उसके शरीरमें एक काँटा सा दौड़ जाता है, क्युकी राजेश कुछकुछ उसके राइवलगैंग के लीडर मुन्ना कीतरह उसे नज़र आता है.राजेश: नमस्ते बाबू साहब, आइयेहम आप को रिकार्ड्स दीखाते है, और इसके अलावा आपहमारे मेहमान भीहै, तो अगर और कुछ भी सेवा लगे हम हाजिर है.गन्या: मनही मन सोचता है, शायद इसने मुझेनही पहचाना औरवो थोड़ा संभलजाता है, और कहता है, हां तो तुम मुझे पहलेरिकार्ड्स बताओ, फिरबाकि बात करते है.पोस्ट मास्टर: जीबाबूजी तो आप रिकार्ड्स चेककर लीजिये औरतब तक हम आपके रहनेखाने का बंदोबस्त करकर आतेहै, और हां आज शाम का खाना आप मेरे साथ मेरे क्वार्टर परखाएंगे,गन्या: जीजरूर, धन्यवाद्, तोहम चलते है, जरा कुछ काम शुरू करलिए जाये ताकिजल्द ख़तम कर सके. राजेश: जीआइये हमारे साथ, और दोनों रिकार्ड्स स्टोर के लिए चल देते है गन्या: कुछ रिकार्ड्स चेककरने के बाद राजेश सेकहता है, राजेश ये रिकार्ड्स साफ़ नहीं मिलते हैकही कुछ गड़बड़ तो नहीं, और हस्ताक्षर भी साफ़ नहीं है, पेनो का अकाल तो नहीं पड़ा है जो धुंदली इंक इस्तेमाल हुई है.राजेश: नहीबाबूजी ये पुराने रिकार्ड्स हैजरा धुंदले पडगए है. बाकि सब साफ़ है रिकार्ड्स भी और हम लोगों का काम भी.गन्या: ठीकहै, वो तो पता चल जायेगा, बड़ेबड़े घोटाले जोहमने आज तक पकड़े है. थोड़े देर रिकॉर्ड्स देखने केबाद राजेश खानालेकर आता है, और ठीक पांच बजे, पोस्ट मास्टर खुदइंस्पेक्टर साहब कोलेने आता है, और गेस्ट हाउस दीखताहै जो उनके रहने केलिए तैयार कियाहै पोस्ट मास्टर: तो बाबूजी येआपके कमरा, औरअरे गजरी जरायहाँ तो आओ, देखो बड़ेबाबूजी है शहर से आये है, इनके यहाँ तुमसब काम देख लेना, औरयाद रहे कोई शिकायत कामौका नहीं मीलनाचाहिए आखिर हमारेगाव् की इज्जत का सवाल है.गजरी: जी पोस्टबाबूजी, आप बेफिक्र रहे, हम हमारा कामजानते है. हम कोई शिकायत का मौका नहीं देंगे गन्या: गजरी की तरफ देखता हैऔर उसे एक और झटका लगता हैहो न हो ये वही मीना कुमारी है जो कभी मुंबई केगैंगस्टर्स की पहली पसंद थी, वो उस दौर की एक जानी मानीएक्टर थी और उसका हरचाहता और हर गैंगस्टर उसेहासिल करना चाहता था, मगर एक दिन वो अचानक गायब हुयी, कहते थे के वो मुंबई के एक बड़े गैंगस्टर उस्मान तलालके साथ दुबई भाग गयी. गन्या नेउसे क्लबों मेंबहुत बार देखा था मगर उसके उसूलथे के वो कभी किसी औरत के चक्कर मेंन पड़ेगा इसीलिए उसे ये पक्का यकीनथा के राजन की तरह ये भी उसे पहचान नहीं पाएगी. गन्या: ठीक है पोस्ट मास्टरजी, आपइसे कल से आने के लिए कहे. अभी तो हम थोड़ा नाहा आरामकरना चाहते है.
पोस्ट मास्टर: ठीक है बाबू साहब, तोगजरी अब तुम हमारे साथचलो बाबू साहबके डिनर कीतैयारी करनी है, और याद रहे इंस्पेक्टर साहबकी खातिरदारी मेंकोई कमी ना रहे. इतना कहकर मास्टरजी और गजरी चलेजाते है.गन्या: थोड़ी देरआराम करने केबाद तैयार रहताहै. शाम ८ बजे मास्टरजी उसे उनके यहाँ दावतके लिए ले कर जाते है.वहा जाने केबाद गन्या देखताहै के वह राजेश औरगजरी तो मौजूद है मगर पोस्ट मास्टर जी के घर पर और कोई भी सदस्य मौजूदनहीं है थोड़ी देर बाद खूब आव भगत और दावत संपन्न होती है और आगे बातचीत शुरू होतीहै.गन्या: मास्टरजी मेहमान नवाजी मेंआप का कोई जवाब नहीं.पोस्ट मास्टर: धन्यवाद् बाबूजी येतो हमारा सौभाग्य हम समझते हैगन्या: वैसे मास्टरजी आपकेघर के और कोई सदस्य दिखाई नहींदे रहे है, क्या आपअकेले रहते है.पोस्ट मास्टर: जी बिलकुल अकेलाकहा बाबूजी, येपोस्ट महकमे औरगाव् के लोग ही हमारा परिवार है,गन्या: काफी काम लोग है जो आपके तरहसोचते है, आप दिल के बड़े है तभी ये सोचते है राजेश और गजरी उनकी बातेसुनते है और हा में हा मिलते है. मगर गन्या कोअभी पता नहीं के उसके साथ जो होने वालाहै वो तो उसने सपनेनहीं सोचा होगा.कुछ देर के बाद पान और मुखवास की, थाली आती है, पान खाने के बाद गन्या कोअचानक ऐसे लगता है की उसके आजुबाजु में सब घूम रहा है, और वो चक्कर खा कर गिर पडता है. दूसरे दिन जब गन्या केआँख खुलते है, और जब उसे होश आता है तो वो घबरा जाता है, जब अपने आपको वो किसे अँधेरे कमरेमें चार पाई पर रस्सी से बंधा पता है. और मुँह में कपडा ठूसा होनेकी वजह से वो चिल्ला भी नहीं पाता, वोअपने आप को छुड़ाने कीकोशिस करता हैमगर उससे वोऔर थक जाता है और अंततः असहायहो सो जाता है.जब थोड़ी देर के बाद उसकी आँख खुलती है तो वो अब सोचने लगताहै क्या येलोग मुझे पहचानगए, क्या येपुलिस के लोग है, अगर ये मुझे पहचान गएहै, तो कभी जिन्दा नहीछोड़ेंगे, तभी उस कमरे कादरवाज़ा खुलता है, उसमे से तीन साये अंदरदाखिल होते है, कमरे में अचानक आये उजाले से गन्या की आँखों अचानक बंदहो जाती है, वो धीरेसे आँखे खोलकरदेखने के कोशिश करता हैतो उसे समझ आता है के ये वही पोस्ट मास्टर और उसके दोलोग राजेश औरगजरी है.पोस्ट मास्टर: कहोइंस्पेक्टर साहब रातकैसे रही, अब हम जो भी पूछेंगे आपने सचबताया नहीं तोअपने जान से हाथ धो बैठोगे. बताओतुम असल में कौन हो, तुम्हे किसनेभेजा है, पुलिस ने या सीबीआई ने, इंटरपोल ने जल्दी बताओ वरंनाऐसे भुगतोगे केतुम्हारी रूह भी काँप उठगे. और उसने पासहे पड़ी चिमटी उठाइ औरगन्या के नाखून में धंसा कर उसे उखाड़ लिया.गन्या दर्द सेकराह उठा, उसकी उंगली सेखून बहने लगा, मगर तीनो शांतिसे उसके तरफदेख रही थे जैसे कुछहुआ ही नहीं,अब पोस्ट मास्टर का हाथ उसके दुसरी उंगलीपर गया, उसने वापस पूछा, अब बताते होया, तभी राजेश आगे आया उसके हाथमें लकड़ी थीउससे उसने गन्याको तब तक पीटा जबतक के वो थक नही गया. गन्या दर्द से चिल्ला उठा मगर मुँह बंदहोने के वजह से, बस उसकी चीखअंदर ही अंदर सिमट गयीऔर आँखों सेआंसू निकल आये, अब उसे पता चला था के दर्द क्या होताहै, उसकी आँखोंके आगे अँधेरा छा गया, और वो बेहोश होगया.जब उसे होश आया तो उसने देखाके उसके हाथमें सलाइन लगीहुए है ताकि वो जिन्दा रह सके. अब गजरी सामने आयी.गजरी: बता दो बाबू के तुम कौन हो वरना तूम्हारी खाल खींच लीजायेगी और तूम देखते हीरह जाओगे. अब गन्या काधीरज टूट गया और उसने उसकी सचाईबता दे की वो मुंबई से भागा गैंगस्टर गन्याशिंदे उर्फ सुपारी भाई है और वो एनकाउंटर से बचने के लिए इस गाव् में आकर छुपने काउसका इरादा है.जैसे हे तीनो ने ये सुना वोसकते में पड गए, राजेश का तो जैसे खूनखौल उठा क्यूंकी गन्या कीवजह से उसे बहुत नुक्सान उठाना पड़ा था, उसके कितनेही लोग गन्या की गैंग ने मार दिए थे, और गैंग केख़तम होने केबाद आज उसे ऐसे चूहे के भाँती उस गांव में छुपाना पड़ा, और आजउसे अपने कदमोपर देख राजेश अपने आपको दर्द औरवहशीपन से हसने सेरोक नही सका.राजेश: कुत्ते, आजतूझे मेरे हाथोसे कोई नहीं बचा सकता, बहुत नुक्सान किया है तूने मेरा औरतेरी वजह से ही मुझे डर कर सुवर कीभाँती जीना पडरहा है.और जैसे हेवो गन्या कोमरने के लिए आगे बढ़ा, पोस्ट मास्टर ने उसे रोक दिया.पोस्ट मास्टर: राजेशरुक जा अपना गुस्सा संभलकर रख, जैसे इसनेतुम्हारी ये हालत की है, उसे यही सुधारेगा. मेरेपास एक प्लान है, और वो राजेश को लेकर बाहर चलागया.
कमरे में गजरी ये यह सुन कर ज्यादा सन्नरह गयी के गन्या शिंदेजैसा लोगों कोजेब में रखने वाला भीएनकाउंटर के डर से इधर भागता फिररहा है.अब वापस पोस्टमास्टर और राजेश कमरे मेंआते है! देखो शिंदे हमेतुमसे दुश्मनी हैमगर अभी समय ऐसा है के अगर हम दुश्मन बन कर एक दूसरे से लड़ते है तो हमारा उसमेकोई फायदा नहीं, अगर तुम हमारा साथ देते हो तो हम तुम्हारी जान बक्श सकते है.गन्या: अपनी कांपते आवाज मेंठीक है मुझे मंजूर है! लेकिन मुझे पहलेकाम क्या हैये बताना पड़ेगा?पोस्ट मास्टर: राजेश की तरफ देखता है, और तुम्हे गृहमंत्री मेहता सेहमारा काम निकलवान है! प्लान हम तुम्हे बना कर देंगे तूम्हे उसे अंजाम देनाहै! क्या तुमये कर पाओगे?मंत्री मेहता कानाम सुन कर गन्या कीपुरानी यादें ताज़ाहोती है, वो उन दिनों की है जब मेहता एक कॉर्पोरेटर था और उसका बापउसके गैर कानूनी धंधे संभालता था. मगर नेता बनने केचककर में मेहता ने उसके बाप को एनकाउंटर में मरवा दिया, और खुद सारा पैसा अंदरकर लिया औरउसे पैसे सेआज टिकट खरीदकर मंत्री बनगया. अब गन्या को बदला लेने कामौका सा मील गया. गन्या: ये काम तो कोई भी छोटा मोटा पंटरकर सकता है, मगर मै ही क्यों?पोस्ट मास्टर: तो सुनो ये मुंबई मेराहुआ करता था, लोग मुझे कासिमके नाम से जानते थे, बड़ा भाई जो दुबई भागगया वो भी मुझे मानताथा! एक टाइम था मै बड़े भाई के लिए सब कुछ किया, यहाँतक के उसकी परछाइ बनकर रहा, मगर बड़ा भाई और मै हम दोने देश छोड़ कर भागने वाले थे,मगर भाई ने मुझे दगादे कर अकेले हे देश छोड़ा, औरमुझे यहाँ मरनेके वास्ते छोड़गया. जाने सेपहले हम दोने ने प्लान बनाये थासभी पासपोर्ट, वीसाऔर सरकारी फरमानतैयार थे मेरे और मीना के लिए लेकिन उसमेहता ने बड़े भाई का साथ दिया और हमारे जो विदेश भागने केकागजात थे वो मुझ तक नहीं पहुँचने दिये! और हमे इस तरह गांव मेंभागना पड़ा जान बचने केलिए.हम तुम्हे मारदेते अगर तुम तुम्हारा सचनाम नहीं बताते, और मुझे पताहै तुम्हारे औरतुम्हारी बाप के उस मंत्री मेहता सेकाफी पुरानी सम्बन्ध है! अगर तुम उस मंत्री का किसे तरह से अगर विश्वास जीत सको तो तुम हमारे विदेशभागने के कागजात तो उसके पास है उन्हें हासीलकर हमे दे सकते होताकि हम ये देश छोड़ कर भाग सके, उसके बदले मेंहम तुम्हारी जानबक्श दे! और तुम्हे भीइस देश से बहार निकलने के लिए मदद कर सके!गन्या: और अगरमै भाग गया तो! तुम मेरा विश्वास कैसे कर सकते हो.
कासिम: विश्वास का तो हमे पता नहीं! मगर तुम धोखा नहींदे सकते क्यूंकी हमारा आदमी तुम्हारी साथ होगा औरतुम्हारी जान हमारे हाथ में! और मुझे पता है तुम्हे तुम्हारी जान तो गवानी नहीं हैक्यों? गन्या को अब यकीन होगया था के वो वापस उसे मौत के भंवर में फस गया है जहा से वो शायद कभी निकल नही पायेगा! लेकिन वोसोचा अगर सब सही हुआ तो शायद उसके किस्मत बदल जाये उसेले जाये उसकेआजादी की और.और उस दिन से कासिम, मीणा राजेशऔर गन्या कीप्लानिंग शुरू हुएके किस तरह से वो मंत्री सेउन कागजात कोहासिल कर सके,और तय प्लान के मुताबिक चारो अबमंत्री मेहता सेमिलने के लिया मुंबई कीऔर रवाना हुए,उन्होंने गन्या केमुंबई आने के बारे मेंमेहता को न्यूज़ मिले इसकेइंतजाम किया.मेहता भले ही पॉलिटिशियन थामगर उसे ऐसे गैंगस्टरों केजरुरत थी क्यूंकी वो उसके राजनीतिक प्रतिद्वंदी लोगोंपर धाक रखना चाहता थाऔर उसके दोनंबर के धंदो के लिए कोई सँभालने वाला कोई प्यादा उसे चाहिए था.तो उसे लगा मौका अच्छाहै गन्या शिंदेको वो अपना आदमी बनाकर एक तीर से दो शिकार करपायेगा.मंत्री मोहता नेएक दिन उसके कर्जत वालेफार्म हाउस परगन्या के साथ मीटिंग फिक्सकी.मंत्री मोहता काफार्म हाउस उसके१०० एकड़ खेत पर फैला हुआ था, वह ऐशो आराम केसाथ सिक्योरिटी केतगड़े इंताजाम थे, मोहता फार्म हाउसकी हॉल में बैठा है, बड़ा सा विदेशी फर्नीचर, कीमतीसजावट के सामन, सामने ट्रेभर कर शराब के बोतले और खाने की चीज से भरी थालियां रखी हुइ है.इतने में उसका इण्टरकॉम फ़ोनबज उठता हैऔर वो रिसीव करता है, सिक्योरिटी: सर कोई गन्या शिंदे आपसे मिलने गेटपैर आये हुए है, क्या इनको अंदरछोड़ना है.मेहता: हाँ हाँ जल्दी अंदर भेजो उसे, और अगर इसके बाद कोई मिलने आए तो कहना मंत्री जी मीटिंग है कल बात करेंने ठीक है. सिक्योरिटी: जीसर,
गन्या शिंदे मेहताके हॉल में प्रवेश करताहैमेहता: आओ शिंदे भाई आओ कहो कैसे हो, क्या लोगे विस्की या रम.गन्या: नहीं मेहता इतनेमहंगी तो मुझे चढ़ती नहींहम तो ठहरे देसी वाले, ये बिदेशी तोहमारे लिए बिना दूध वाली चाय के तरह है.मेहता: अरेचिंता क्यों करतेहो भाई वो भी हम रखते है, पीना चाहोगे, आजही अपने ठैके पर बनी है, लो यह रही संतरा औरयह रही मोसम्बी इत्मीनान सेपीओ गन्या: आओजरा चख तो लू के क्या बनरहा है आपके यहाँ आजकल, और वो एक घूँट पीता है, मेहता साब ये तो कुछ खास जमी नहीं, किसको रखा है आपने आज कल इसे घोटने. देसी कम पानी ज्यादा लगरही है.मेहता: अरेशिंदे इसे लिये तो तुम को याद किये, येनया छोकरों केबस का काम नहीं है, आ जाओ मेरे साथ काम करो एक दिन मुंबई का लीकर किंग बना दूंगा तुम्हे, और कब तक अकेले भागते फिरोगे, अब तो में मंत्री भी हूँ, तो तुम्हे किसे से डरने की कोई जरुरत नहीं.गन्या: मेहता साब, बस आप ही है जो अपनों की जरुरत समझ सकते है! आज से जो आप बोलोगे वो करने के लिये में तैयार हूँ आप कहे तो जान भी दे दू.मेहता: अरे भाई जान नहीं बस साथ दे दे, इस मुंबई पर राज करेंगे दोनों मिल कर.और दोनों हँसते है, उस दिन दोनों ने बहुत देर तक बात की, और अब उस दीन के बाद गन्या मेहता का दारू कारोबार सँभालने लगा और कुछ दिन के बाद मेहता ने उसके बाकी २ नंबर के काम भी उसके हाथ दे दिए. अब गन्या को लग रहा था के मेहता पूरे तरह से उस पर विश्वास कर रहा है, तब एक दिन उसका फ़ोन बजा, फ़ोन पर कासिम था, उसने गन्या को याद दीलाया के उसे आगे क्या करना है.मेहता की एक और कमजोरी थी उसकी बीवी और एक मंत्री के हैसियत से अपनी साफ़ छवि को संभालना, और उसी का फायदा उठा कर कासिम ने कुछ प्लान बनाया था और अब मीना को प्लान में शामिल किया.एक शाम मेहता और गन्या फार्म हाउस पैर बैठ कर बात कर रहे थे.गन्या: मेहता साब दिन तो ठीक है मगर रातों का क्या, आपकी बीवी तो खूब खबर लेती होंगी आप की अगर आप घर देर से जाते होंगे तब.मेहता: अरे भाई बीवी तो है, मगर शादी शुदा ज़िंदगी में मज़ा नहीं है, खूब जूते खाने पड़ते है कभी कभी तो. और बाहर आज कल वो परिंदा कहा जिसे देख कर दिल खुश हो जायेगन्या: अरे मेहता साब, आप हुकम तो दो आपके मतलब की चीज़ ढूंढ कर लायेंगे.अब गन्या को इंतजार था उस दिन का जिस दिन वो प्लान के मुताबिक मीना को मेहता के जिंदगी में लाये. और जल्द हे एक बड़ी फिल्मी पार्टी में उन्होंने जुगाड़ कर मेहता को न्योता दिया और जैसे हे मेहता पार्टी में पहुँचा गन्या ने मेहता को किसे से मिलने का इंतजाम किया वो थी मीना.गन्या: मेहता साब याद है आपसे मैंने कहा था, किसे स्पेशल से मिलवाऊंगा आपको मेहता: हां हां याद है, मुझे गन्या: तो इनसे मिलिए ये है मैडम मीना, फिल्म एक्ट्रेस, इनके फिल्म परदेसीया तो देखी होंगे आप ने, मीना आगे आ कर हैंडशेक करती है!मेहता: आप को कौन नहीं जानता मीना जी, आपसे मिलकर बड़ी खुशी हुइ!मीना: ये तो हम जैसे कलाकारों की खुशनसीबी है के आप के जैसे कला के कदरदान इस समाज में मौजूद है!तभी गन्या किसे से मिलने का बहाना कर दोनों तो छोड़कर एक और चला जाता है मीना प्लान के मुताबिक मेहता को उसके मीठे बातों से जीत लेती है! और दोनों का मिलना जुलना उस दिन से बढ़ जाता है. मीना का मेहता के फार्म हाउस पर आना शुरू हो जाता है अब कासिम को लगता है के अगला प्लान राजेश और गन्या को मीणा के साथ अंजाम देना है और वो उनका आख़री दाव होगा, जिससे वो उनके मिशन और करीब जा सके, और जल्दी हे एक दिन मीना और मेहता फार्म हाउस पैर बैठे हुए थे, मीना: मेहता जी आपको अपने जिंदगी में बहुत कुछ मिला मगर आप जिंदगी खुल कर नहीं जी पाते.मेहता: क्या करे मीनाजी, आज तक ऐसे कोई हमे मीला हे नहीं, जिससे हम अपने दिल के बात खुल कर कह सके!मीना: तो आप हमसे वो बात कह सकते है और वो दोनों अंदर के कमरे में चले जाते है!इतने में गन्या राजेश को अपना गैंग मेंबर बता कर, फार्म हाउस में एंट्री करता है गन्या: राजेश अब तुम पिछले दीवार के तरफ जाओ वह बैडरूम के खिड़की से जल्द से फोटो निकल लाओ.राजेश: ठीक है तब तक तुम यहाँ सामने पहरा दो ताकि अगर कोई आये तो तुम उसे संभाल सको.राजेश फार्म हाउस के पीछे चला जाता है और गन्या आगे पहरे देने के लिया रुकता है थोड़े हे देर में फोटो निकल कर आता है और दोनों वह से चले जाते है!अब उनके हात वो सबूत है जिनके बदौलत वो मेहता पर काबू कर सकते थे और उनके बात मनवा सकते थे!जल्द हे एक दिन मेहता को एक गुमनाम खत मिलता है उसमे उसकी और मीना की तस्वीरें और एक खत है! खत लिखने वाले ने मेहता को अकेले मिलने बुलाया ताकि वो उनके बदले मेहता से उसके बात मनवा सके! और एक दिन तय मुताबिक मेहता उस इंसान से मिलने चला जाता है.एक सुनसान स्टेशन जहा ट्रैन से एक आदमी अपना मुँह ढके उतरता है, वो और कोई नहीं मेहता है!उसके उतारते ही हे एक कुली आगे बढ़ता है, वो कुली और कोई नही कासिम है!कुली: बाबू साहब बड़ा भारी सामान है! गुलाबी गाव् जाना है क्या!मेहता गुलाबी गाव् का नाम सुनकर समझ जाता है के ये वही इंसान है जिसने उसे मिलने बुलाया!मेहता: देखो तुम मेरे साथ ऐसे नहीं कर सकते, तुम्ही पता है में कौन हूँ, तुम्हे बहुत महंगा पड़ेगा!कुली: साहब जरा होश से काम ले तो बेहतर, वरना आप की ये गर्मी निकलने में ज्यादा देर नहीं लगेंगी, क्या आप चाहते हो के वो तस्वीरें किसे न्यूज़ पेपर के फ्रंट पेज पर या आपके घर पर जाये. और आप तो ये अच्छी तरह जानते होंगे, एक बार आपकी ये छवि ख़राब हुई तो आप को न आपकी पार्टी खड़े करेंगे न हे आपके घर वाले.मेहता: तुम मुझसे चाहते क्या हो!कुली: अब आप एक अच्छे इंसान की तरह बात कर रहे है, अभी तो आप चलिए मेरे साथ, हम लोग अकेले में आगे की बात करे तो आप के लिए अच्छा होगा.और वो दोनों स्टेशन के बाहर निकल कर एक घोडा गाड़ी में बैठ जाते है, घोडा गाड़ी कासिम चलाता है थोड़ी देर चलने के बाद वो एक बंद घर के आहाते में उतर जाते है!कासिम इशारा कर के मेहता को उसके पीछे आने के लिए कहता हैदोनों उस इमारत के हॉल में आ कर रुक जाते है, वो कोई पुराना सा मकान है, बाहर से जर्जर मगर अंदर से उसे अच्छे तरह से मेन्टेन किया हुआ है! ये कासिम का मुंबई वाला सेफ हाउस था.कुली मेहता को एक सोफे पैर बैठने के लिए कहता है और उसे पीने के लिए पानी देता है जिसे मेहता घटा घट पी जाता है!कुली: तो मंत्री जी शायद आपने पहचाना नहीं, में गैंगस्टर कासिम हूँ कासिम का नाम सुनकर मेहता पसीना पसीना हो जाता है!मेहता: कासिम भाई, रेहम करो में बर्बाद हो जाऊंगा चाहे जितने पैसे देने के लिए में तैयार हूँ, मगर वो तस्वीरें पब्लिक में या मेरे घर पर न जाने पायेकासिम: मेहता साब, आप हमारा कहना मान जाते हो तो हम आपको वो तस्वीरें और उसके ओरिजिनल नीगैटिवस लौटा सकते है.मेहता: ठीक है बोलो कितना पैसा चाहिए तुम्हे, कासिम: हमें १०० खोका और आप होम मिनिस्टर है, तो हमे देश के बाहर निकलने के लिए आपका लेटर और हमारे पासपोर्ट्स चाहिए जो बड़े भाई ने तुम्हारे पास रखे थे.मेहता: वो तो सब ठीक है, मगर तुम्हारा विश्वास कैसे करू के तुम उसके बाद वो फोटोज और नेगेटिव मुजे दे दोगै, कासिम: आपको शायद ये नहीं पता कासिम एक बार जबान दे देता है तो कभी नहीं मुकरता, अगर में मेरे जबान से मुकरा तो मुझे वो उप्परवाला माफ़ नही करेगा और उसे से बड़ा मेरे नज़र में और कोई नही, तो आप इत्मीनान रखे, अगर आप वैसे ही करोगे जैसे हमने कहा तो आप को जो चाहिए वो मिलेगा.मेहता: और वैसे भी अब मुझे अब तुमपर यकीन करने के सिवा कोई चारा नहीं है, तो ठीक है तुम जैसे बोलोगे वैसे में करूँगा बस मुझे कुछ दिन की मोहलत चाहिए,कासिम: ठीक है आपको १ महीने का वक़्त देते है, और याद रखना उससे ज्यादा एक दिन भी नहीं.मेहता के पास अब कासिम की बात मानने के सिवा और कोई चारा नज़र नहीं आ रहा था, कुछ ही देर में दोनों वापस रेलवे स्टेशन पहुंचे, और एक ट्रैन में वापस मेहता सवार हो कर मुंबई की और रवाना हुआ, उसे ट्रैन के डिब्बे के माहोल से लग रहा था के कोई इंसान जो उसके साथ ट्रैन से उतरा था वही इंसान वापस उसके डिब्बे में है और शायद उसपर नज़र रख रहा है! मगर उसने ज्यादा ध्यान नहीं दिया, क्यूंकी उसके दिमाग में अब कासिम की मांग पूरे करने का चक्कर चल रहा था.कुछ दिन के बाद मुंबई क्राइम ब्रांच का ऑफिस, सदानंद भिड़े के ऑफिस का फ़ोन बज उठता है और फ़ोन पर दूसरे तरफ के व्यक्ति से बात करने के बाद शायद वो कुछ सोच में जाता है, थोड़ी देर सोचने के बाद उसने उसके ड्राइवर से गाड़ी निकलने के लिए कहा और मंत्रालय के और चल पड़ा,राज्य गृह मंत्रालय, मेहता जी का ऑफिसमेहता जी उनके डेस्क पैर बैठे कुछ कार्यकर्ताओं से विचार विमर्श कर रहे थे तभी अर्दली ने उन्हें सदानंद भिड़े के आने के खबर दी, उन्होंने आनन् फानन में कार्यकर्ताओं को बाद में आने के लिए कहा, और अर्दली को सदानंद भिड़े को उसके केबिन में भेजने के लिए कह.सदानंद भिड़े मेहता जी के केबिन में दाखिल होता, उन्हें सलूट करता है, मेहता उसे बैठने के लिए कहते है.मेहता: कहो एनकाउंटर स्पेशलिस्ट आज मुझे कैसे याद किया.भिड़े: सर कुछ बात ही ऐसी सीरियस है, मुझे मेरे खबरियों से ऐसे पता चला है के गैंगस्टर कासिम दुबई भागने की फिराक़ में है, और उसे कोई आपके ऑफिस से मदद कर रहा है.मेहता ये सुनकर चौंक जाता है, मगर अपने आप पर काबू करकर,
मेहता: भिड़े मुझे पता है तुम एक काबिल और ईमानदार पुलिस ऑफिसर हो, और तुम्हारी खबर बिलकुल पक्की होगी, तुम्हे पूरी छूट है, आखिर तुम्हारी वजह से हे तो मुंबई का आज गैंगस्टर से मुक्त है, और तुम लॉ एंड आर्डर को काबू में करने के लिए सरकार तुम्हारी शुक्रगुजार है. अगर मुझसे कुछ मदद चाहते हो तो जरूर मांगो मै हाजिर हूँ.कुछ दिन के बाद भिड़े का ऑफिस, वो और उसकी टीम उसका कबिन में कुछ डिसकस कर रहे थे तभी, उसका असिस्टेंट उसके हाथ में एक लेटर देता है, वो लेटर पढ़कर भिड़े जोर जोर से हसने लगता है,इंस्पेक्टर: सर क्या बात है, कोई खुश खबरी है क्याभिड़े: हाँ खुश खबर भी है और ताज्जुब भी, मुझे दिल्ली हेडक्वार्टर्स प्रमोट किया है और इस अगले महीने ज्वाइन करने के लिए कहा है. इंस्पेक्टर: सर बहुत बहुत बधायी आप को.भिड़े: मगर ताज्जुब इस बात का है के हम कासिम का केस सुलझाने वाले थे के अचानक ये ट्रांसफर ऑर्डर्स, कुछ फ़िशि लगता है, मगर क्या करे सरकारी मुलाजीम को तो बस ऑर्डर्स फॉलो करने पड़ते है.कुछ दिन के बाद, एक सरकारी अध्यादेश पर एनकाउंटर सेल को ख़ारिज कर दिया जाता है, उसमे कहा जाता है के अब गैंगस्टर्स पर पुरी तरह से काबू कर लिया गया है, तो इस अलग डिपार्टमेंट की कोई जरुरत नहीं,मेहता अपने गेस्ट हाउस पर किसे के आने का बेसब्री से इंतज़ार कर रहा हैइतने में सिक्योरिटी ने उन्हें किसे के आने के खबर दी, उसने उन्हें अंदर आने के लिए कहा मेहता: आओ भिड़े आओ, सुना है नयी पोस्टिंग मिले है सीधे सेण्टर में मुबारक हो, भिड़े: सर मुझे पता है ये तो आपहीकी सिफारिश का नतीजा है, आपका बहुत बहुत शुक्रिया.इतने में सिक्योरिटी ने कुछ और लोगो के आने के खबर दी मेहता ने उन्हें भी अंदर भेजने के लिए कहा
अब आने वाले लोग थे कासिम और राजेश भिड़े कासिम और राजेश को देख केर चौक गया और कासिम और राजेश उसे मगर मेहता ने उन्हें विश्वास दीलाया के भिड़े को उन्होंने बस उनकी सेफ्टी के लिए बुलया है.मेहता: तो कासिम ये तुम्हारे १०० करोड़ ट्रांसफर किये जायेंगे तुम्हारे दुबई वाले नए अकाउंट में , और ये तुम्हारे पासपोर्ट्स और ये होम मिनिस्ट्री की क्लीयरेंस रिपोर्ट जिससे तुम कहे भी देश के बहार आ जा सकते हो बस अब तुम अपने डील के मुताबिक मेरे मतलब के चीज़ मुझे लौटा दो.कासिम: जी मंत्री साहब ये आपकी अमानत इसे चेक कर लीजिये.और वो फोटो वाला एनवेलप और कैमरा मेहता को देता है.मेहता: उन्हें देख कर तस्सली करने के बाद, ठीक है ये तो सब सही है अब इनका कुछ काम नही और वो उन्हें पास में जल रही अंगीठी में फेक देता है ताकि वो जल कर ख़तम हो सके.मेहता उसके कंप्यूटर के तरफ इशारा कर के कासिम को दीखाता है के उसके मांगी रकम उसके दुबई वाले अकाउंट में ट्रांसफर हो चुकी है.मेहता: भिड़े साहब अब आपके लिए एक काम है क्या आप करना चाहोगे.भिड़े: जी मंत्री जी जो आप कहे, मेहता: फ़िक्र मत करो भिड़े उसका अलग से इनाम दूंगा ये लो २ करोड़ तुम्हे एक काम करना है! कल शाम को चार लोगों को दुबई के फ्लाइट में मुंबई से एयरपोर्ट से विआईपी बनाकर ले कर जाना है ताकि वो फ्लाइट में बिना दिक्कत बैठ सकै.भिड़े: वैसे पैसे की कोई जरुरत नहीं थी, मगर आप की कोई बात कैसे टाल सकता हूँ, आप इतना प्यार से दे रहे है तो रख ही लेता हूँ.सभी ठहका लगा कर हसने लगते है कुछ देर बाद सब चले जाते है
मेहता: अपने आप से बोलता है, किसे ने खूब कहा है नारी से बच कर ही रहना चाहिए वरना बड़े बड़े राज पाट बर्बाद हो जाते है.भिड़े बहार निकलता है और उसके साथीयें को कहता है तैयार हो जाओ कल कुछ विआईपीज को मुंबई एयरपोर्ट एस्कॉर्ट करना है.दूसरे दिन पुलिस एस्कॉर्ट्स के साथ चारो कासिम मीना, राजेश और गन्या दुबई की फ्लाइट से देश के बाहर चले जाते है.कुछ दिन के बाद पुलिस को एक पत्थरों से कुचली हुइ लाश मिलती है जिसे गैंगस्टर गन्या शिंदे की बताई जाती है, और उसके फाइल हमेशा के लिए बंद कर दी जाती है और एक दिन सुबह भिड़े उसके बंगले में न्यूज़ पेपर पढ़ रहा होता है! तो उसका ध्यान एक खबर पर जाता है, “गैंगस्टर कासिम और एक्ट्रेस मीना को दुबई में देखा गया“, वो हँसता है और कहता है चलो एक और “फरार”
वो १९८६ कादौर था जब अंडरवर्ल्ड काबड़ा भाई, उस पावरफुल नेताजी सरकार के कहने पर दुबई भाग गया उसके बादमुंबई के अंडरवर्ल्ड में खलबली मच गयी. हर छोटा गैंगस्टर भाईकी जगह लेना चाहता था, वैसे हे एक गैंगस्टर थागन्या शिंदे उर्फसुपारी भाई, गन्या का बाप पहले मुंबईके गोदी मेंस्मगलिंग और शराब के गिरोह में काम करता था, और बाप के एनकाउंटर मेंमर जाने केबाद उसके बेटेगन्या के मन में सरकारी व्यवस्था के खिलाफ गुस्सा भर गया और वो भी बड़े भाई के गिरोह में शामिल हो गया, उसका काम था बड़े भाई और नेताजी के लिए प्रोटेक्शन मनीवसूलना, और भाई के लिये उनसे साम, दाम, दंड के जरिये काम करवा लेना और प्रोटेक्शन मनी वसूलना. गन्या शिंदेऔर उसका गैंगकाफी सालो सेईमानदारी से भाई के लिए सभी बड़े लोगों औरसरकारी अफसरों परकण्ट्रोल बनाये हुएथा. लेकिन एकदौर आया जब १९९३ मेंमुंबई बम ब्लास्ट के बाद भाई का नाम वांटेड लिस्ट मेंऊपर आया और स्टेट कीसरकार ने सभी गैंगस्टरों कोख़तम करने केलिया स्पेशल एनकाउंटर सेल का गठन किया. उसकाइंचार्ज था सदानंद भिड़े, वोएक ईमानदार औरसख्त पोलिसवाला था, उसने एनकाउंटर कावर्ल्ड रिकॉर्ड करनेका जैसे ठान लिया था और धड़ल्ले से जो भी गैंगस्टर उसकी हिटलिस्ट में था उनका एनकाउंटर करनेलगा, उसके खौफके कारन बहुतसे गैंगस्टर फरारहोने लगे और अब गन्या शिंदे कोलगा के अगर जान बचानी हो तो उसे मुंबई छोड़ कर फरार होनापड़ेगा सो उसने पुणे केएक गाँव मेंजाने का प्लान बनाया, उसनेएक सरकारी पोस्टऑफिस में ऑडिट इंस्पेक्टर बनकर जाने केतैयारी के उसने उसके सरकारी कॉन्टेक्ट्स से उसने जरूरी कागजात.और पहचान पत्रबनवा लिया. उस गाव का नाम था हवेली जो बहुत छोटा औरबाकि दुनिया केझनझट से दूर था. गन्या ने उसके गैंग कोतुरंत फरार होनेका हुकम दिया, और खुद निकल पड़ा एक अनजान मंजिलकी और. अगले दिन मुंबई के दादर बस स्टेशन से उसने सरकारी बसपकडी जिससे स्टेशन पैर पुलिस कीनज़र से बच सके और वो ६ घंटे केसफर के बाद पहुँचा हवेलीगाव्.
दोपहर का वक़्त ३ बजे एक बस गाव् केबस अड्डे पररुकी. उसमे सेगन्या उतरा. उसकेहाथ में एक अटैची औरकुछ फाइल थी.आलीशान गाड़ियों मेंघूमने वाले गन्याने पहले बारबस का सफर किया थावो काफी ऊबगया था, और उसे बाजु वाले बाबूभी जो की काफी बातुनी था, उस से वो चिढगया था और उसे लग रहा था के कब उसे छुटकारा मिले गन्या जैसे बस हेउतरा, उसके साथवाले बन्दे नेसर निकलता हुएबोला.बस वाला बाबू: ठीक हैबाबू साहब कभीहमारे गाव् आनाहुआ तो जरूर घर पधारेगन्या: (अगर वो कभी उसे मुंबई मिलतातो उसकी गर्दनमरोड़ देता) मगरउसने खुद को संभाला औरबोलै जी जरूर मुझे बडीखुशी होंगी, धन्यवाद् और इतना बोलकरउसने विदा लीऔर आगे बढ़ा बस जहा रुकी वहा कुछ लोग बैठे दिखे, गन्या: बाबूजी ये पोस्ट ऑफिस कहापड़ता हैएक बूढा: बाबू इसकच्चे रस्ते सेआगे जाइये, जोभी बड़ी ईमारत आपको दीखजायगे उन झोपड़ियों के बीच वो पक्का मकान हीडाक खाना हैगन्या: ठीक है बाबाजी धन्यवाद् थोडी देर चलने के बाद वो पोस्ट ऑफिस पहुँचता है, वो देखता है गाव् के सभी घर एकदम कच्चे है, मगर डाक खाने की ईमारत बड़ी और नयी सी दीख रही है, उस ईमारत के सामने गार्डन और बगल में शायद रहनेके लिया कोठिया भी थी. वो पोस्ट ऑफिसमें अंदर घुसताहै,गन्या: स्टूलपैर बैठे अर्दली से, अरे पोस्ट मास्टर कहाबैठते है, उनसे कहना झोनलऑफिस से ऑडिट इंस्पेक्टर आयेहै, रिकार्ड्स देखनाहै.अर्दली: गन्या की बात सुनकर जरागड़बड़ा जाता हैऔर तुरंत पोस्टमास्टरजी को बुलाने भागता है.गन्या: वही एक कुर्सी पर बैठ जाता हैऔर आगे क्या बोलना हैवो सोचने लगताहै इतने में.
पोस्ट मास्टर: बाबू साहिब, आपतार कर देते तो हम आपको रीसिवकरने के लिए आ जाते, आपको खाम खा तकलीफ हुइ. ए अर्दली जाओबाबूजी के लिया चाय नास्ते का प्रबंध करो, आइये बाबूजी मेरेकेबिन में बैठते है आराम से. गन्या : पोस्टमास्टर साहब शायदआप एनुअल चेकिंग का प्रोटोकॉल नहीजानते क्या, हमआने की इत्तेलाह पहले नहीदे सकते, हमरिकार्ड्स चेक करने आये है,ये हमारा पहचान पत्र. और गन्या उसे एक बनाया हुआपहचान पत्र दिखताहै.पोस्ट मास्टर: कार्ड को उलट पुलट करदेखता है और मासूमियत औरघबराहट का मिला जुला सा मुह बनता है, और थोड़ी देरबाद संभल करकहता है, गलती हो गए बाबू साहबआगे से ना होगी, आप सेवा का मौका दीजिये, मन मत करीयेगा बस रिपोर्ट जरा अच्छे बनाया, हमआपके हुकम केगुलाम है आप जो कहेंगे वही होगा.इतने में अर्दली चाय नास्ता ले कर आता है, पोस्ट मास्टर: लीजिये बाबूजी थोड़ाचाय नास्ता करलीजिये, काम तो होता हीरहेगा थोड़े देर के बाद पोस्ट मास्टरजी इंस्पेक्टर साहब को रिकॉर्ड रूम लेकर जाते है.थोड़ी तपदिश केबादगन्या: मास्टरजी मुझे आपकेरिकार्ड्स कुछ ज्यादा लग रहे है, अगर आप अच्छे रिपोर्ट चाहतेहो तो शायद मुझे यहाँज्यादा देर तक रुकना पड़ेऐसे हेड ऑफिस को दीखाना पड़ेगा उसकेबाद हे में आपको अच्छेरिपोर्ट दे पाउँगा तो आप, हमारे रहनेका प्रबंध करोशायद कुछ दिन हमे यहाँ रुकना पड़ेगा.पोस्ट मास्टर: थोड़े ख़ुशी केलहजे में बोलै जो हुकुम बाबूजी, कोईकमी नही रहने देंगे आपकेखातिर दारी मेंऔर हमे भी ये आपका अंदाज़ पसंदआया जियो औरजीने दो वाला, ठीक है हम आपके रहने काप्रबंध करवा करअभी आते है तब तक आप हमारे दालान आरामफरमाए.पोस्ट मास्टर घंटीबजा कर एक कर्मचारी कोबुलाने के लिए कहता है, उसके आने के बाद गन्या से, बाबू साहब येहमारे स्टाफ राजेशहै, ये आपको रिकार्ड्स बताएँगे,गन्या राजेश कीतरफ देखता है, और उसके शरीरमें एक काँटा सा दौड़ जाता है, क्युकी राजेश कुछकुछ उसके राइवलगैंग के लीडर मुन्ना कीतरह उसे नज़र आता है.राजेश: नमस्ते बाबू साहब, आइयेहम आप को रिकार्ड्स दीखाते है, और इसके अलावा आपहमारे मेहमान भीहै, तो अगर और कुछ भी सेवा लगे हम हाजिर है.गन्या: मनही मन सोचता है, शायद इसने मुझेनही पहचाना औरवो थोड़ा संभलजाता है, और कहता है, हां तो तुम मुझे पहलेरिकार्ड्स बताओ, फिरबाकि बात करते है.पोस्ट मास्टर: जीबाबूजी तो आप रिकार्ड्स चेककर लीजिये औरतब तक हम आपके रहनेखाने का बंदोबस्त करकर आतेहै, और हां आज शाम का खाना आप मेरे साथ मेरे क्वार्टर परखाएंगे,गन्या: जीजरूर, धन्यवाद्, तोहम चलते है, जरा कुछ काम शुरू करलिए जाये ताकिजल्द ख़तम कर सके. राजेश: जीआइये हमारे साथ, और दोनों रिकार्ड्स स्टोर के लिए चल देते है गन्या: कुछ रिकार्ड्स चेककरने के बाद राजेश सेकहता है, राजेश ये रिकार्ड्स साफ़ नहीं मिलते हैकही कुछ गड़बड़ तो नहीं, और हस्ताक्षर भी साफ़ नहीं है, पेनो का अकाल तो नहीं पड़ा है जो धुंदली इंक इस्तेमाल हुई है.राजेश: नहीबाबूजी ये पुराने रिकार्ड्स हैजरा धुंदले पडगए है. बाकि सब साफ़ है रिकार्ड्स भी और हम लोगों का काम भी.गन्या: ठीकहै, वो तो पता चल जायेगा, बड़ेबड़े घोटाले जोहमने आज तक पकड़े है. थोड़े देर रिकॉर्ड्स देखने केबाद राजेश खानालेकर आता है, और ठीक पांच बजे, पोस्ट मास्टर खुदइंस्पेक्टर साहब कोलेने आता है, और गेस्ट हाउस दीखताहै जो उनके रहने केलिए तैयार कियाहै पोस्ट मास्टर: तो बाबूजी येआपके कमरा, औरअरे गजरी जरायहाँ तो आओ, देखो बड़ेबाबूजी है शहर से आये है, इनके यहाँ तुमसब काम देख लेना, औरयाद रहे कोई शिकायत कामौका नहीं मीलनाचाहिए आखिर हमारेगाव् की इज्जत का सवाल है.गजरी: जी पोस्टबाबूजी, आप बेफिक्र रहे, हम हमारा कामजानते है. हम कोई शिकायत का मौका नहीं देंगे गन्या: गजरी की तरफ देखता हैऔर उसे एक और झटका लगता हैहो न हो ये वही मीना कुमारी है जो कभी मुंबई केगैंगस्टर्स की पहली पसंद थी, वो उस दौर की एक जानी मानीएक्टर थी और उसका हरचाहता और हर गैंगस्टर उसेहासिल करना चाहता था, मगर एक दिन वो अचानक गायब हुयी, कहते थे के वो मुंबई के एक बड़े गैंगस्टर उस्मान तलालके साथ दुबई भाग गयी. गन्या नेउसे क्लबों मेंबहुत बार देखा था मगर उसके उसूलथे के वो कभी किसी औरत के चक्कर मेंन पड़ेगा इसीलिए उसे ये पक्का यकीनथा के राजन की तरह ये भी उसे पहचान नहीं पाएगी. गन्या: ठीक है पोस्ट मास्टरजी, आपइसे कल से आने के लिए कहे. अभी तो हम थोड़ा नाहा आरामकरना चाहते है.
पोस्ट मास्टर: ठीक है बाबू साहब, तोगजरी अब तुम हमारे साथचलो बाबू साहबके डिनर कीतैयारी करनी है, और याद रहे इंस्पेक्टर साहबकी खातिरदारी मेंकोई कमी ना रहे. इतना कहकर मास्टरजी और गजरी चलेजाते है.गन्या: थोड़ी देरआराम करने केबाद तैयार रहताहै. शाम ८ बजे मास्टरजी उसे उनके यहाँ दावतके लिए ले कर जाते है.वहा जाने केबाद गन्या देखताहै के वह राजेश औरगजरी तो मौजूद है मगर पोस्ट मास्टर जी के घर पर और कोई भी सदस्य मौजूदनहीं है थोड़ी देर बाद खूब आव भगत और दावत संपन्न होती है और आगे बातचीत शुरू होतीहै.गन्या: मास्टरजी मेहमान नवाजी मेंआप का कोई जवाब नहीं.पोस्ट मास्टर: धन्यवाद् बाबूजी येतो हमारा सौभाग्य हम समझते हैगन्या: वैसे मास्टरजी आपकेघर के और कोई सदस्य दिखाई नहींदे रहे है, क्या आपअकेले रहते है.पोस्ट मास्टर: जी बिलकुल अकेलाकहा बाबूजी, येपोस्ट महकमे औरगाव् के लोग ही हमारा परिवार है,गन्या: काफी काम लोग है जो आपके तरहसोचते है, आप दिल के बड़े है तभी ये सोचते है राजेश और गजरी उनकी बातेसुनते है और हा में हा मिलते है. मगर गन्या कोअभी पता नहीं के उसके साथ जो होने वालाहै वो तो उसने सपनेनहीं सोचा होगा.कुछ देर के बाद पान और मुखवास की, थाली आती है, पान खाने के बाद गन्या कोअचानक ऐसे लगता है की उसके आजुबाजु में सब घूम रहा है, और वो चक्कर खा कर गिर पडता है. दूसरे दिन जब गन्या केआँख खुलते है, और जब उसे होश आता है तो वो घबरा जाता है, जब अपने आपको वो किसे अँधेरे कमरेमें चार पाई पर रस्सी से बंधा पता है. और मुँह में कपडा ठूसा होनेकी वजह से वो चिल्ला भी नहीं पाता, वोअपने आप को छुड़ाने कीकोशिस करता हैमगर उससे वोऔर थक जाता है और अंततः असहायहो सो जाता है.जब थोड़ी देर के बाद उसकी आँख खुलती है तो वो अब सोचने लगताहै क्या येलोग मुझे पहचानगए, क्या येपुलिस के लोग है, अगर ये मुझे पहचान गएहै, तो कभी जिन्दा नहीछोड़ेंगे, तभी उस कमरे कादरवाज़ा खुलता है, उसमे से तीन साये अंदरदाखिल होते है, कमरे में अचानक आये उजाले से गन्या की आँखों अचानक बंदहो जाती है, वो धीरेसे आँखे खोलकरदेखने के कोशिश करता हैतो उसे समझ आता है के ये वही पोस्ट मास्टर और उसके दोलोग राजेश औरगजरी है.पोस्ट मास्टर: कहोइंस्पेक्टर साहब रातकैसे रही, अब हम जो भी पूछेंगे आपने सचबताया नहीं तोअपने जान से हाथ धो बैठोगे. बताओतुम असल में कौन हो, तुम्हे किसनेभेजा है, पुलिस ने या सीबीआई ने, इंटरपोल ने जल्दी बताओ वरंनाऐसे भुगतोगे केतुम्हारी रूह भी काँप उठगे. और उसने पासहे पड़ी चिमटी उठाइ औरगन्या के नाखून में धंसा कर उसे उखाड़ लिया.गन्या दर्द सेकराह उठा, उसकी उंगली सेखून बहने लगा, मगर तीनो शांतिसे उसके तरफदेख रही थे जैसे कुछहुआ ही नहीं,अब पोस्ट मास्टर का हाथ उसके दुसरी उंगलीपर गया, उसने वापस पूछा, अब बताते होया, तभी राजेश आगे आया उसके हाथमें लकड़ी थीउससे उसने गन्याको तब तक पीटा जबतक के वो थक नही गया. गन्या दर्द से चिल्ला उठा मगर मुँह बंदहोने के वजह से, बस उसकी चीखअंदर ही अंदर सिमट गयीऔर आँखों सेआंसू निकल आये, अब उसे पता चला था के दर्द क्या होताहै, उसकी आँखोंके आगे अँधेरा छा गया, और वो बेहोश होगया.जब उसे होश आया तो उसने देखाके उसके हाथमें सलाइन लगीहुए है ताकि वो जिन्दा रह सके. अब गजरी सामने आयी.गजरी: बता दो बाबू के तुम कौन हो वरना तूम्हारी खाल खींच लीजायेगी और तूम देखते हीरह जाओगे. अब गन्या काधीरज टूट गया और उसने उसकी सचाईबता दे की वो मुंबई से भागा गैंगस्टर गन्याशिंदे उर्फ सुपारी भाई है और वो एनकाउंटर से बचने के लिए इस गाव् में आकर छुपने काउसका इरादा है.जैसे हे तीनो ने ये सुना वोसकते में पड गए, राजेश का तो जैसे खूनखौल उठा क्यूंकी गन्या कीवजह से उसे बहुत नुक्सान उठाना पड़ा था, उसके कितनेही लोग गन्या की गैंग ने मार दिए थे, और गैंग केख़तम होने केबाद आज उसे ऐसे चूहे के भाँती उस गांव में छुपाना पड़ा, और आजउसे अपने कदमोपर देख राजेश अपने आपको दर्द औरवहशीपन से हसने सेरोक नही सका.राजेश: कुत्ते, आजतूझे मेरे हाथोसे कोई नहीं बचा सकता, बहुत नुक्सान किया है तूने मेरा औरतेरी वजह से ही मुझे डर कर सुवर कीभाँती जीना पडरहा है.और जैसे हेवो गन्या कोमरने के लिए आगे बढ़ा, पोस्ट मास्टर ने उसे रोक दिया.पोस्ट मास्टर: राजेशरुक जा अपना गुस्सा संभलकर रख, जैसे इसनेतुम्हारी ये हालत की है, उसे यही सुधारेगा. मेरेपास एक प्लान है, और वो राजेश को लेकर बाहर चलागया.
कमरे में गजरी ये यह सुन कर ज्यादा सन्नरह गयी के गन्या शिंदेजैसा लोगों कोजेब में रखने वाला भीएनकाउंटर के डर से इधर भागता फिररहा है.अब वापस पोस्टमास्टर और राजेश कमरे मेंआते है! देखो शिंदे हमेतुमसे दुश्मनी हैमगर अभी समय ऐसा है के अगर हम दुश्मन बन कर एक दूसरे से लड़ते है तो हमारा उसमेकोई फायदा नहीं, अगर तुम हमारा साथ देते हो तो हम तुम्हारी जान बक्श सकते है.गन्या: अपनी कांपते आवाज मेंठीक है मुझे मंजूर है! लेकिन मुझे पहलेकाम क्या हैये बताना पड़ेगा?पोस्ट मास्टर: राजेश की तरफ देखता है, और तुम्हे गृहमंत्री मेहता सेहमारा काम निकलवान है! प्लान हम तुम्हे बना कर देंगे तूम्हे उसे अंजाम देनाहै! क्या तुमये कर पाओगे?मंत्री मेहता कानाम सुन कर गन्या कीपुरानी यादें ताज़ाहोती है, वो उन दिनों की है जब मेहता एक कॉर्पोरेटर था और उसका बापउसके गैर कानूनी धंधे संभालता था. मगर नेता बनने केचककर में मेहता ने उसके बाप को एनकाउंटर में मरवा दिया, और खुद सारा पैसा अंदरकर लिया औरउसे पैसे सेआज टिकट खरीदकर मंत्री बनगया. अब गन्या को बदला लेने कामौका सा मील गया. गन्या: ये काम तो कोई भी छोटा मोटा पंटरकर सकता है, मगर मै ही क्यों?पोस्ट मास्टर: तो सुनो ये मुंबई मेराहुआ करता था, लोग मुझे कासिमके नाम से जानते थे, बड़ा भाई जो दुबई भागगया वो भी मुझे मानताथा! एक टाइम था मै बड़े भाई के लिए सब कुछ किया, यहाँतक के उसकी परछाइ बनकर रहा, मगर बड़ा भाई और मै हम दोने देश छोड़ कर भागने वाले थे,मगर भाई ने मुझे दगादे कर अकेले हे देश छोड़ा, औरमुझे यहाँ मरनेके वास्ते छोड़गया. जाने सेपहले हम दोने ने प्लान बनाये थासभी पासपोर्ट, वीसाऔर सरकारी फरमानतैयार थे मेरे और मीना के लिए लेकिन उसमेहता ने बड़े भाई का साथ दिया और हमारे जो विदेश भागने केकागजात थे वो मुझ तक नहीं पहुँचने दिये! और हमे इस तरह गांव मेंभागना पड़ा जान बचने केलिए.हम तुम्हे मारदेते अगर तुम तुम्हारा सचनाम नहीं बताते, और मुझे पताहै तुम्हारे औरतुम्हारी बाप के उस मंत्री मेहता सेकाफी पुरानी सम्बन्ध है! अगर तुम उस मंत्री का किसे तरह से अगर विश्वास जीत सको तो तुम हमारे विदेशभागने के कागजात तो उसके पास है उन्हें हासीलकर हमे दे सकते होताकि हम ये देश छोड़ कर भाग सके, उसके बदले मेंहम तुम्हारी जानबक्श दे! और तुम्हे भीइस देश से बहार निकलने के लिए मदद कर सके!गन्या: और अगरमै भाग गया तो! तुम मेरा विश्वास कैसे कर सकते हो.
कासिम: विश्वास का तो हमे पता नहीं! मगर तुम धोखा नहींदे सकते क्यूंकी हमारा आदमी तुम्हारी साथ होगा औरतुम्हारी जान हमारे हाथ में! और मुझे पता है तुम्हे तुम्हारी जान तो गवानी नहीं हैक्यों? गन्या को अब यकीन होगया था के वो वापस उसे मौत के भंवर में फस गया है जहा से वो शायद कभी निकल नही पायेगा! लेकिन वोसोचा अगर सब सही हुआ तो शायद उसके किस्मत बदल जाये उसेले जाये उसकेआजादी की और.और उस दिन से कासिम, मीणा राजेशऔर गन्या कीप्लानिंग शुरू हुएके किस तरह से वो मंत्री सेउन कागजात कोहासिल कर सके,और तय प्लान के मुताबिक चारो अबमंत्री मेहता सेमिलने के लिया मुंबई कीऔर रवाना हुए,उन्होंने गन्या केमुंबई आने के बारे मेंमेहता को न्यूज़ मिले इसकेइंतजाम किया.मेहता भले ही पॉलिटिशियन थामगर उसे ऐसे गैंगस्टरों केजरुरत थी क्यूंकी वो उसके राजनीतिक प्रतिद्वंदी लोगोंपर धाक रखना चाहता थाऔर उसके दोनंबर के धंदो के लिए कोई सँभालने वाला कोई प्यादा उसे चाहिए था.तो उसे लगा मौका अच्छाहै गन्या शिंदेको वो अपना आदमी बनाकर एक तीर से दो शिकार करपायेगा.मंत्री मोहता नेएक दिन उसके कर्जत वालेफार्म हाउस परगन्या के साथ मीटिंग फिक्सकी.मंत्री मोहता काफार्म हाउस उसके१०० एकड़ खेत पर फैला हुआ था, वह ऐशो आराम केसाथ सिक्योरिटी केतगड़े इंताजाम थे, मोहता फार्म हाउसकी हॉल में बैठा है, बड़ा सा विदेशी फर्नीचर, कीमतीसजावट के सामन, सामने ट्रेभर कर शराब के बोतले और खाने की चीज से भरी थालियां रखी हुइ है.इतने में उसका इण्टरकॉम फ़ोनबज उठता हैऔर वो रिसीव करता है, सिक्योरिटी: सर कोई गन्या शिंदे आपसे मिलने गेटपैर आये हुए है, क्या इनको अंदरछोड़ना है.मेहता: हाँ हाँ जल्दी अंदर भेजो उसे, और अगर इसके बाद कोई मिलने आए तो कहना मंत्री जी मीटिंग है कल बात करेंने ठीक है. सिक्योरिटी: जीसर,
गन्या शिंदे मेहताके हॉल में प्रवेश करताहैमेहता: आओ शिंदे भाई आओ कहो कैसे हो, क्या लोगे विस्की या रम.गन्या: नहीं मेहता इतनेमहंगी तो मुझे चढ़ती नहींहम तो ठहरे देसी वाले, ये बिदेशी तोहमारे लिए बिना दूध वाली चाय के तरह है.मेहता: अरेचिंता क्यों करतेहो भाई वो भी हम रखते है, पीना चाहोगे, आजही अपने ठैके पर बनी है, लो यह रही संतरा औरयह रही मोसम्बी इत्मीनान सेपीओ गन्या: आओजरा चख तो लू के क्या बनरहा है आपके यहाँ आजकल, और वो एक घूँट पीता है, मेहता साब ये तो कुछ खास जमी नहीं, किसको रखा है आपने आज कल इसे घोटने. देसी कम पानी ज्यादा लगरही है.मेहता: अरेशिंदे इसे लिये तो तुम को याद किये, येनया छोकरों केबस का काम नहीं है, आ जाओ मेरे साथ काम करो एक दिन मुंबई का लीकर किंग बना दूंगा तुम्हे, और कब तक अकेले भागते फिरोगे, अब तो में मंत्री भी हूँ, तो तुम्हे किसे से डरने की कोई जरुरत नहीं.गन्या: मेहता साब, बस आप ही है जो अपनों की जरुरत समझ सकते है! आज से जो आप बोलोगे वो करने के लिये में तैयार हूँ आप कहे तो जान भी दे दू.मेहता: अरे भाई जान नहीं बस साथ दे दे, इस मुंबई पर राज करेंगे दोनों मिल कर.और दोनों हँसते है, उस दिन दोनों ने बहुत देर तक बात की, और अब उस दीन के बाद गन्या मेहता का दारू कारोबार सँभालने लगा और कुछ दिन के बाद मेहता ने उसके बाकी २ नंबर के काम भी उसके हाथ दे दिए. अब गन्या को लग रहा था के मेहता पूरे तरह से उस पर विश्वास कर रहा है, तब एक दिन उसका फ़ोन बजा, फ़ोन पर कासिम था, उसने गन्या को याद दीलाया के उसे आगे क्या करना है.मेहता की एक और कमजोरी थी उसकी बीवी और एक मंत्री के हैसियत से अपनी साफ़ छवि को संभालना, और उसी का फायदा उठा कर कासिम ने कुछ प्लान बनाया था और अब मीना को प्लान में शामिल किया.एक शाम मेहता और गन्या फार्म हाउस पैर बैठ कर बात कर रहे थे.गन्या: मेहता साब दिन तो ठीक है मगर रातों का क्या, आपकी बीवी तो खूब खबर लेती होंगी आप की अगर आप घर देर से जाते होंगे तब.मेहता: अरे भाई बीवी तो है, मगर शादी शुदा ज़िंदगी में मज़ा नहीं है, खूब जूते खाने पड़ते है कभी कभी तो. और बाहर आज कल वो परिंदा कहा जिसे देख कर दिल खुश हो जायेगन्या: अरे मेहता साब, आप हुकम तो दो आपके मतलब की चीज़ ढूंढ कर लायेंगे.अब गन्या को इंतजार था उस दिन का जिस दिन वो प्लान के मुताबिक मीना को मेहता के जिंदगी में लाये. और जल्द हे एक बड़ी फिल्मी पार्टी में उन्होंने जुगाड़ कर मेहता को न्योता दिया और जैसे हे मेहता पार्टी में पहुँचा गन्या ने मेहता को किसे से मिलने का इंतजाम किया वो थी मीना.गन्या: मेहता साब याद है आपसे मैंने कहा था, किसे स्पेशल से मिलवाऊंगा आपको मेहता: हां हां याद है, मुझे गन्या: तो इनसे मिलिए ये है मैडम मीना, फिल्म एक्ट्रेस, इनके फिल्म परदेसीया तो देखी होंगे आप ने, मीना आगे आ कर हैंडशेक करती है!मेहता: आप को कौन नहीं जानता मीना जी, आपसे मिलकर बड़ी खुशी हुइ!मीना: ये तो हम जैसे कलाकारों की खुशनसीबी है के आप के जैसे कला के कदरदान इस समाज में मौजूद है!तभी गन्या किसे से मिलने का बहाना कर दोनों तो छोड़कर एक और चला जाता है मीना प्लान के मुताबिक मेहता को उसके मीठे बातों से जीत लेती है! और दोनों का मिलना जुलना उस दिन से बढ़ जाता है. मीना का मेहता के फार्म हाउस पर आना शुरू हो जाता है अब कासिम को लगता है के अगला प्लान राजेश और गन्या को मीणा के साथ अंजाम देना है और वो उनका आख़री दाव होगा, जिससे वो उनके मिशन और करीब जा सके, और जल्दी हे एक दिन मीना और मेहता फार्म हाउस पैर बैठे हुए थे, मीना: मेहता जी आपको अपने जिंदगी में बहुत कुछ मिला मगर आप जिंदगी खुल कर नहीं जी पाते.मेहता: क्या करे मीनाजी, आज तक ऐसे कोई हमे मीला हे नहीं, जिससे हम अपने दिल के बात खुल कर कह सके!मीना: तो आप हमसे वो बात कह सकते है और वो दोनों अंदर के कमरे में चले जाते है!इतने में गन्या राजेश को अपना गैंग मेंबर बता कर, फार्म हाउस में एंट्री करता है गन्या: राजेश अब तुम पिछले दीवार के तरफ जाओ वह बैडरूम के खिड़की से जल्द से फोटो निकल लाओ.राजेश: ठीक है तब तक तुम यहाँ सामने पहरा दो ताकि अगर कोई आये तो तुम उसे संभाल सको.राजेश फार्म हाउस के पीछे चला जाता है और गन्या आगे पहरे देने के लिया रुकता है थोड़े हे देर में फोटो निकल कर आता है और दोनों वह से चले जाते है!अब उनके हात वो सबूत है जिनके बदौलत वो मेहता पर काबू कर सकते थे और उनके बात मनवा सकते थे!जल्द हे एक दिन मेहता को एक गुमनाम खत मिलता है उसमे उसकी और मीना की तस्वीरें और एक खत है! खत लिखने वाले ने मेहता को अकेले मिलने बुलाया ताकि वो उनके बदले मेहता से उसके बात मनवा सके! और एक दिन तय मुताबिक मेहता उस इंसान से मिलने चला जाता है.एक सुनसान स्टेशन जहा ट्रैन से एक आदमी अपना मुँह ढके उतरता है, वो और कोई नहीं मेहता है!उसके उतारते ही हे एक कुली आगे बढ़ता है, वो कुली और कोई नही कासिम है!कुली: बाबू साहब बड़ा भारी सामान है! गुलाबी गाव् जाना है क्या!मेहता गुलाबी गाव् का नाम सुनकर समझ जाता है के ये वही इंसान है जिसने उसे मिलने बुलाया!मेहता: देखो तुम मेरे साथ ऐसे नहीं कर सकते, तुम्ही पता है में कौन हूँ, तुम्हे बहुत महंगा पड़ेगा!कुली: साहब जरा होश से काम ले तो बेहतर, वरना आप की ये गर्मी निकलने में ज्यादा देर नहीं लगेंगी, क्या आप चाहते हो के वो तस्वीरें किसे न्यूज़ पेपर के फ्रंट पेज पर या आपके घर पर जाये. और आप तो ये अच्छी तरह जानते होंगे, एक बार आपकी ये छवि ख़राब हुई तो आप को न आपकी पार्टी खड़े करेंगे न हे आपके घर वाले.मेहता: तुम मुझसे चाहते क्या हो!कुली: अब आप एक अच्छे इंसान की तरह बात कर रहे है, अभी तो आप चलिए मेरे साथ, हम लोग अकेले में आगे की बात करे तो आप के लिए अच्छा होगा.और वो दोनों स्टेशन के बाहर निकल कर एक घोडा गाड़ी में बैठ जाते है, घोडा गाड़ी कासिम चलाता है थोड़ी देर चलने के बाद वो एक बंद घर के आहाते में उतर जाते है!कासिम इशारा कर के मेहता को उसके पीछे आने के लिए कहता हैदोनों उस इमारत के हॉल में आ कर रुक जाते है, वो कोई पुराना सा मकान है, बाहर से जर्जर मगर अंदर से उसे अच्छे तरह से मेन्टेन किया हुआ है! ये कासिम का मुंबई वाला सेफ हाउस था.कुली मेहता को एक सोफे पैर बैठने के लिए कहता है और उसे पीने के लिए पानी देता है जिसे मेहता घटा घट पी जाता है!कुली: तो मंत्री जी शायद आपने पहचाना नहीं, में गैंगस्टर कासिम हूँ कासिम का नाम सुनकर मेहता पसीना पसीना हो जाता है!मेहता: कासिम भाई, रेहम करो में बर्बाद हो जाऊंगा चाहे जितने पैसे देने के लिए में तैयार हूँ, मगर वो तस्वीरें पब्लिक में या मेरे घर पर न जाने पायेकासिम: मेहता साब, आप हमारा कहना मान जाते हो तो हम आपको वो तस्वीरें और उसके ओरिजिनल नीगैटिवस लौटा सकते है.मेहता: ठीक है बोलो कितना पैसा चाहिए तुम्हे, कासिम: हमें १०० खोका और आप होम मिनिस्टर है, तो हमे देश के बाहर निकलने के लिए आपका लेटर और हमारे पासपोर्ट्स चाहिए जो बड़े भाई ने तुम्हारे पास रखे थे.मेहता: वो तो सब ठीक है, मगर तुम्हारा विश्वास कैसे करू के तुम उसके बाद वो फोटोज और नेगेटिव मुजे दे दोगै, कासिम: आपको शायद ये नहीं पता कासिम एक बार जबान दे देता है तो कभी नहीं मुकरता, अगर में मेरे जबान से मुकरा तो मुझे वो उप्परवाला माफ़ नही करेगा और उसे से बड़ा मेरे नज़र में और कोई नही, तो आप इत्मीनान रखे, अगर आप वैसे ही करोगे जैसे हमने कहा तो आप को जो चाहिए वो मिलेगा.मेहता: और वैसे भी अब मुझे अब तुमपर यकीन करने के सिवा कोई चारा नहीं है, तो ठीक है तुम जैसे बोलोगे वैसे में करूँगा बस मुझे कुछ दिन की मोहलत चाहिए,कासिम: ठीक है आपको १ महीने का वक़्त देते है, और याद रखना उससे ज्यादा एक दिन भी नहीं.मेहता के पास अब कासिम की बात मानने के सिवा और कोई चारा नज़र नहीं आ रहा था, कुछ ही देर में दोनों वापस रेलवे स्टेशन पहुंचे, और एक ट्रैन में वापस मेहता सवार हो कर मुंबई की और रवाना हुआ, उसे ट्रैन के डिब्बे के माहोल से लग रहा था के कोई इंसान जो उसके साथ ट्रैन से उतरा था वही इंसान वापस उसके डिब्बे में है और शायद उसपर नज़र रख रहा है! मगर उसने ज्यादा ध्यान नहीं दिया, क्यूंकी उसके दिमाग में अब कासिम की मांग पूरे करने का चक्कर चल रहा था.कुछ दिन के बाद मुंबई क्राइम ब्रांच का ऑफिस, सदानंद भिड़े के ऑफिस का फ़ोन बज उठता है और फ़ोन पर दूसरे तरफ के व्यक्ति से बात करने के बाद शायद वो कुछ सोच में जाता है, थोड़ी देर सोचने के बाद उसने उसके ड्राइवर से गाड़ी निकलने के लिए कहा और मंत्रालय के और चल पड़ा,राज्य गृह मंत्रालय, मेहता जी का ऑफिसमेहता जी उनके डेस्क पैर बैठे कुछ कार्यकर्ताओं से विचार विमर्श कर रहे थे तभी अर्दली ने उन्हें सदानंद भिड़े के आने के खबर दी, उन्होंने आनन् फानन में कार्यकर्ताओं को बाद में आने के लिए कहा, और अर्दली को सदानंद भिड़े को उसके केबिन में भेजने के लिए कह.सदानंद भिड़े मेहता जी के केबिन में दाखिल होता, उन्हें सलूट करता है, मेहता उसे बैठने के लिए कहते है.मेहता: कहो एनकाउंटर स्पेशलिस्ट आज मुझे कैसे याद किया.भिड़े: सर कुछ बात ही ऐसी सीरियस है, मुझे मेरे खबरियों से ऐसे पता चला है के गैंगस्टर कासिम दुबई भागने की फिराक़ में है, और उसे कोई आपके ऑफिस से मदद कर रहा है.मेहता ये सुनकर चौंक जाता है, मगर अपने आप पर काबू करकर,
मेहता: भिड़े मुझे पता है तुम एक काबिल और ईमानदार पुलिस ऑफिसर हो, और तुम्हारी खबर बिलकुल पक्की होगी, तुम्हे पूरी छूट है, आखिर तुम्हारी वजह से हे तो मुंबई का आज गैंगस्टर से मुक्त है, और तुम लॉ एंड आर्डर को काबू में करने के लिए सरकार तुम्हारी शुक्रगुजार है. अगर मुझसे कुछ मदद चाहते हो तो जरूर मांगो मै हाजिर हूँ.कुछ दिन के बाद भिड़े का ऑफिस, वो और उसकी टीम उसका कबिन में कुछ डिसकस कर रहे थे तभी, उसका असिस्टेंट उसके हाथ में एक लेटर देता है, वो लेटर पढ़कर भिड़े जोर जोर से हसने लगता है,इंस्पेक्टर: सर क्या बात है, कोई खुश खबरी है क्याभिड़े: हाँ खुश खबर भी है और ताज्जुब भी, मुझे दिल्ली हेडक्वार्टर्स प्रमोट किया है और इस अगले महीने ज्वाइन करने के लिए कहा है. इंस्पेक्टर: सर बहुत बहुत बधायी आप को.भिड़े: मगर ताज्जुब इस बात का है के हम कासिम का केस सुलझाने वाले थे के अचानक ये ट्रांसफर ऑर्डर्स, कुछ फ़िशि लगता है, मगर क्या करे सरकारी मुलाजीम को तो बस ऑर्डर्स फॉलो करने पड़ते है.कुछ दिन के बाद, एक सरकारी अध्यादेश पर एनकाउंटर सेल को ख़ारिज कर दिया जाता है, उसमे कहा जाता है के अब गैंगस्टर्स पर पुरी तरह से काबू कर लिया गया है, तो इस अलग डिपार्टमेंट की कोई जरुरत नहीं,मेहता अपने गेस्ट हाउस पर किसे के आने का बेसब्री से इंतज़ार कर रहा हैइतने में सिक्योरिटी ने उन्हें किसे के आने के खबर दी, उसने उन्हें अंदर आने के लिए कहा मेहता: आओ भिड़े आओ, सुना है नयी पोस्टिंग मिले है सीधे सेण्टर में मुबारक हो, भिड़े: सर मुझे पता है ये तो आपहीकी सिफारिश का नतीजा है, आपका बहुत बहुत शुक्रिया.इतने में सिक्योरिटी ने कुछ और लोगो के आने के खबर दी मेहता ने उन्हें भी अंदर भेजने के लिए कहा
अब आने वाले लोग थे कासिम और राजेश भिड़े कासिम और राजेश को देख केर चौक गया और कासिम और राजेश उसे मगर मेहता ने उन्हें विश्वास दीलाया के भिड़े को उन्होंने बस उनकी सेफ्टी के लिए बुलया है.मेहता: तो कासिम ये तुम्हारे १०० करोड़ ट्रांसफर किये जायेंगे तुम्हारे दुबई वाले नए अकाउंट में , और ये तुम्हारे पासपोर्ट्स और ये होम मिनिस्ट्री की क्लीयरेंस रिपोर्ट जिससे तुम कहे भी देश के बहार आ जा सकते हो बस अब तुम अपने डील के मुताबिक मेरे मतलब के चीज़ मुझे लौटा दो.कासिम: जी मंत्री साहब ये आपकी अमानत इसे चेक कर लीजिये.और वो फोटो वाला एनवेलप और कैमरा मेहता को देता है.मेहता: उन्हें देख कर तस्सली करने के बाद, ठीक है ये तो सब सही है अब इनका कुछ काम नही और वो उन्हें पास में जल रही अंगीठी में फेक देता है ताकि वो जल कर ख़तम हो सके.मेहता उसके कंप्यूटर के तरफ इशारा कर के कासिम को दीखाता है के उसके मांगी रकम उसके दुबई वाले अकाउंट में ट्रांसफर हो चुकी है.मेहता: भिड़े साहब अब आपके लिए एक काम है क्या आप करना चाहोगे.भिड़े: जी मंत्री जी जो आप कहे, मेहता: फ़िक्र मत करो भिड़े उसका अलग से इनाम दूंगा ये लो २ करोड़ तुम्हे एक काम करना है! कल शाम को चार लोगों को दुबई के फ्लाइट में मुंबई से एयरपोर्ट से विआईपी बनाकर ले कर जाना है ताकि वो फ्लाइट में बिना दिक्कत बैठ सकै.भिड़े: वैसे पैसे की कोई जरुरत नहीं थी, मगर आप की कोई बात कैसे टाल सकता हूँ, आप इतना प्यार से दे रहे है तो रख ही लेता हूँ.सभी ठहका लगा कर हसने लगते है कुछ देर बाद सब चले जाते है
मेहता: अपने आप से बोलता है, किसे ने खूब कहा है नारी से बच कर ही रहना चाहिए वरना बड़े बड़े राज पाट बर्बाद हो जाते है.भिड़े बहार निकलता है और उसके साथीयें को कहता है तैयार हो जाओ कल कुछ विआईपीज को मुंबई एयरपोर्ट एस्कॉर्ट करना है.दूसरे दिन पुलिस एस्कॉर्ट्स के साथ चारो कासिम मीना, राजेश और गन्या दुबई की फ्लाइट से देश के बाहर चले जाते है.कुछ दिन के बाद पुलिस को एक पत्थरों से कुचली हुइ लाश मिलती है जिसे गैंगस्टर गन्या शिंदे की बताई जाती है, और उसके फाइल हमेशा के लिए बंद कर दी जाती है और एक दिन सुबह भिड़े उसके बंगले में न्यूज़ पेपर पढ़ रहा होता है! तो उसका ध्यान एक खबर पर जाता है, “गैंगस्टर कासिम और एक्ट्रेस मीना को दुबई में देखा गया“, वो हँसता है और कहता है चलो एक और “फरार”
Published on October 19, 2019 00:07
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